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बुंदेलखंड यूनीवर्सिटी छतरपुर, गांधी जयंती पर महाराजा छत्रसाल बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय में प्रख्‍यात गांधीवादी चिंतक एवं गांधी स्‍मारक निधि के अध्‍यक्ष श्री दुर्गा प्रसाद आर्य जी ने अपने उदबोधन में उक्‍त बात कही।



 गांधी जयंती पर महाराजा छत्रसाल बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय में प्रख्‍यात गांधीवादी चिंतक एवं गांधी स्‍मारक निधि के अध्‍यक्ष श्री दुर्गा प्रसाद आर्य जी ने अपने उदबोधन में उक्‍त बात कही। उन्‍होंने इतिहास में गांधी जी के महत्‍व को निरूपित करते हुए कहा कि गांधी जी द्वारा दिये गये अहिंसा के मंत्र को आज पूरा विश्‍व पालन कर रहा है। शांति और अहिंसा के बल पर ही हमें आजादी मिली।अंतिम आदमी तक पहुंचना ही गांधी जी का लक्ष्‍य था। स्‍वतंत्रता संग्राम में उन्होंने खादी पहनने पर जोर देते हुए उसे वर्दी का दर्जा दिया था। वर्तमान व्‍यवस्‍था में बदलाव हेतु गांधी वादी मूल्‍यों को अपनाना अति आवश्‍यक हो गया है। 
 गांधी जयंती समारोह की शुरूआत विश्‍वविद्यालय प्रांगण में स्थित गांधी जी की मूर्ति पर कुलपति प्रो0 टी0आर0थापक जी, मुख्‍य अतिथि श्री दुर्गाप्रसाद आर्य अध्‍यक्ष गांधी स्‍मारक निधि कुलसचिव डॉ0 जे0पी0मिश्र जी, गांधी स्मारक निधि की सचिव श्रीमती दमयन्‍ती जी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्‍वयक डॉ0 बहादुर सिंह परमार द्वारा माल्‍यार्पण के साथ हुई। विश्‍वविद्यालय के प्रांगण में इस अवसर पर मुख्‍य अतिथि एवं कुलपति एवं कुलसचिव महोदय ने एन एस एस तथा एन सी सी के बच्चों के साथ पौधरोपण किया। 
 कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत गांधीवादी परम्परा में सूत की माला से हुआ | गांधी जी को याद करते हुए कुलसचिव महोदय ने कहा कि गांधी जी आज के समय में मजबूरी का नहीं मजबूती का नाम है। गांधी चिंतन को कार्यरूप में परिणित करने की जरूरत है। इस संसार में दिव्‍यता की पूजा होती है कहीं भी भव्‍यता को नहीं पूजा जाता। आज के समय में हमें स्‍टेंडर्ड आफ लिविंग के बजाय स्‍टेंडर्ड आफ थिंकिंग और स्‍टेंडर्ड आफ टॉकिंग पर ध्‍यान देने की जरूरत है। 
 गांधी स्‍मारक निधि की सचिव श्रीमती दमयन्‍ती जी ने अहिंसा के महत्‍व को समझाते हुए कहा कि गांधी जी आजीवन सत्य और अहिंसा को ही महत्व दिया | अहिंसा को आज जीवन में उतारने की सबसे ज्‍यादा जरूरत है। सिर्फ तलवार से ही हिंसा नहीं होती हमें अपनी बात और व्‍यवहार में भी हिंसक नहीं होना है। गांधी जी के बिना लोकतंत्र की परिकल्‍पना भी मुश्किल है। गांधी व्‍यक्ति नहीं विचार हैं। 
                                         अपने अध्‍यक्षीय उदबोधन में कुलपति प्रो0 टी0आर0थापक जी ने कहा कि मैंने गांधी जी को तो नहीं देखा परंतु आज आर्य साहब में गांधी जी को देख रहा हूं। उन्‍होंने गांधी जी और शास्‍त्री जी दोनों की स्‍मृति को नमन करते हुए कहा कि आज पूरा विश्‍व अंतराष्‍ट्रीय अहिंसा दिवस मनाते हुए गांधी जी को याद कर रहा है। उनके दोनों भजन वैष्‍णव जन और रघुपति राघव उनका दिव्‍य अहसास कराते हैं । महात्‍मा गांधी ने सभ्‍य समाज के लिये स्‍वच्‍छता का वातावरण निर्मित करने की जो बात कही थी आज हमें उसका शब्‍दश: उसका पालन करने की जरूरत है। व्‍यक्ति की शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं अदम्‍य इच्‍छाशक्ति से आती है। महात्‍मा गांधी ने हमें सिखाया कि जहां प्‍यार है वहीं जीवन है| 
                                                   डॉ0 बहादुर सिंह परमार ने संचालन करते हुए बताया कि वर्ष 1921 में गांधी ने प्रण किया था कि शरीर पर एक ही वस्‍त्र धारण करूंगा। यह वर्ष उनके वस्‍त्र त्‍याग का 100वां वर्ष है। 
                        विश्‍वविद्यालय प्रांगण में गांधी जयंती के अवसर पर एक स्वच्छता अभियान का आयोजब किया गया इसमें कुलपति,कुलसचिव एवं प्राध्‍यापकों द्वारा श्रमदान करते हुए प्रांगण के उद्यान एवं खेल मैदान की सफाई की गई। एनसीसी एवं एनएसएस के अधिकारियों एवं छात्रों के द्वारा संपूर्ण विश्‍वविद्यालय में सफाई अभियान चलाते हुये विश्‍वविद्यालय परिसर को स्‍वच्‍छ किया गया। विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, अधिकारी तथा कर्मचारियों के साथ साथ छात्रों की उपस्थिति सराहनीय रही |

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